किसान संघर्ष समिति के जिला अध्यक्ष जगदीश दोड़के ने प्रेसनोट जारी कर बताया कि इस वर्ष अतिवृष्टि से किसानों की सोयाबीन की फसल खराब हो चुकी जो फसल बची है उसे बाजार में आधे दाम पर खरीद की जा रही है। जिससे किसानों में भारी आक्रोश है। 2400 रूपये प्रति क्विंटल की मक्का 1100-1400 रूपये में और 5328रूपये प्रति क्विंटल की सोयाबीन 3000 रू में खरीद की जा रही है। जिस पर किसान संघर्ष समिति द्वारा एमएसपी पर खरीद कराने, पर्याप्त खाद और बिजली उपलब्ध कराने सहित 11 सुत्रीय मांगों को लेकर 4 नवंबर को मुख्यमंत्री के नाम एस डी एम को ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन अभी तक किसी भी मांग पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया है। इसलिए 11 नवंबर से 13 नवंबर तक तहसील मुख्यालय पर तीन दिवसीय चेतावनी धरना देने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने सभी किसानों मजदूरों से धरना कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की ।
तहसील अध्यक्ष कृपाल सिंह सिसोदिया ने कहा जब जब फसल पककर किसानों के घर आती है उसका दाम गिरा दिया जाता है। इसी तरह सिंचाई के समय बिजली कटौती शुरू कर दी जाती है। इस तरह का अन्याय किसानों के साथ ही क्यों किया जाता है?
उन्होंने कहा कि गेंहू, धान की समर्थन मूल्य पर खरीद न करने और 10 घंटे से अधिक बिजली देने वाले अधिकारियों की वेतन कटौती का प्रदेश सरकार का निर्णय हास्यास्पद लगता है। कृषि राज्य का विषय है। किसान हित में अपने राज्यों के लिए कृषि से संबंधित नीतियां बनाने और लागू करने का अधिकार राज्य सरकार को है। लेकिन डॉ मोहन यादव की सरकार ने किसान हित में कोई कार्य नहीं किया है।


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